उसने अपनी बनारसी और भारी जरी वाली साड़ियों को निकाला। उसने अपनी बनारसी और भारी जरी वाली साड़ियों को निकाला।
लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
ड्रेसेस और को-एजूकेशन ही बहुत हद तक ज़िम्मेदार हैं ड्रेसेस और को-एजूकेशन ही बहुत हद तक ज़िम्मेदार हैं
निधी ससुराल में साड़ी ही पहनती, जब उसकी बेटी बड़ी हुई उसने उसे चालाकी से मिडी पहनाई और अपनी माँ को स्व... निधी ससुराल में साड़ी ही पहनती, जब उसकी बेटी बड़ी हुई उसने उसे चालाकी से मिडी पहना...
वाह, आप न होते तो हमारा क्या होता... वाह, आप न होते तो हमारा क्या होता...
ज़िंदगी गुज़ारनी नहीं, जीनी चाहिए,उम्मीद के संग ज़िंदगी गुज़ारनी नहीं, जीनी चाहिए,उम्मीद के संग